बेटियाँ क्यों अपने माता पिता के लिए होती है खास ?

क्यों खास होती है बेटियाँ - विवाह के बाद पति पत्नी को एक अच्छी संतान की आस होती है , चाहे वो लड़का हो या लड़की . यदि उनके घर में लड़की का जन्म होता है तो वो उसे लक्ष्मी का रूप मानते है और हर लड़की अपना भाग्य लेकर आती है .ऐसे ही जब लड़के का जन्म होता है तो उसे लड्डू गोपाल का स्वरुप माना जाता है . 

ऐसा आपने जरुर सोशल मीडिया पर सुना होगा कि किसी युगल के बेटा भाग्य से होता है पर बेटी सौभाग्य से होती है . 

जैसे लडको की तुलना में लड़की शारीरिक रूप से  कोमल होती है , उसी तरह मन से भी वो सॉफ्ट और अधिक गुणों वाली होती है . समाज में लडकियों के साथ कई बंदिशे है अत: वो लड़की की तरह खुल कर जी नही पाती है . लड़का रात को 12 बजे आ जाये तो कोई दिक्कत नही है पर लड़की रात को 12 बजे आये तो माता पिता के मन में उसकी सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ जाते है . 


क्यों खास होती है बेटियाँ

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    पिता के लिए खास होती है बेटियाँ 

    यह देखा गया है कि माँ का लाडला बेटा तो पिता की दुलारी बेटियाँ होती है . जब कोई व्यक्ति अपनी बेटी का पिता बनता है तो उसके बाद उसके भाव , इमोशन और नजरियाँ बहुत बदल जाता है . बेटी हर पिता के लिए गुरुर होता है साथ ही उसके जन्म के साथ वो अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाता है .

    जन्म के बाद उसके अच्छे रहन सहन , पढाई का ध्यान रखता है और उसके सपनो को पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत करता है . 

    बेटो से ज्यादा भावुक होती है बेटियाँ 

    हम सभी अच्छे से जानते है कि भावुकता और इमोशन में बेटो से ज्यादा बेटियाँ होती है . उसमे करुणा , दया , प्रेम , समर्पण , त्याग , परोपकार आदि गुण लडको से ज्यादा होते है . वे इमोशनल होती है और यदि उनके माता पिता के कोई कष्ट है तो वे ज्यादा पीड़ित होती है .

    उनके मन के भाव भी सहज दिख जाते है अत: यही कारण होता है कि वो अपने माता पिता के लिए बहुत खास होती है .

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    पराये घर की होने का भाव 

    हर माता पिता को पता है कि एक दिन उनकी राजकुमारी बेटी उनके घर से अपने पति के घर चली जाएगी और फिर कभी कभी ही आ पायेगी . अत: इसी भाव से वे अपनी बेटी को ज्यादा प्रेम करते है .

    एक दिन डोली का उठ जाना है और बेटी को पिया कर घर संभालना है , इसी सोच से वो बचपन से जवानी तक अपनी बेटी को बहुत लाड चाव से रखते है और उसे अच्छे से अच्छा जीवन देने की कोशिश करते है .  

    विवाह में करते है जमकर खर्च 


    माता पिता के लिए बेटी और बेटा एक समान होता है पर दुनिया के दस्तूर के आगे उन्हें भी झुकना पड़ता है . एक दिन बेटी का विवाह करके पराये घर भेजना पड़ता है . इसलिए पिता अपनी बेटी के विवाह में जमकर खर्च करता है क्योकि उसकी जो सम्पति है वो सब तो फिर बेटो की होनी है और वो बेटी को सम्पति विवाह के जरिये और दुसरे बहाने से ही दे सकता है 

    बिना बेटे के माँ बाप को संभालती है बेटियां 

    ऐसे आपको कई घर मिलेंगे जिसमे माता पिता के कोई बेटा नही है बस बेटियाँ है . ऐसे माँ बाप बुढ़ापे में सिर्फ अपनी बेटी और उसके पति से ही आस रखते है कि वो ही उनका ख्याल रखेंगे . हिन्दू समाज में रीति है कि माता पिता के स्वर्गवास के बाद बेटा ही उनका दाह संस्कार करता है पर जिस घर में बेटा ना हो तो ऐसे घर में अब यह कार्य बेटियाँ करने लगी है .

    कुल मिलाकर समय आने पर बेटियाँ बेटो के समान ही है . 


    बेटियों के नाम होता है डॉटर्स डे 

    माता पिता अपनी बेटी के नाम भी एक दिन को बहुत अच्छे से सेलिब्रेट कर सकते है जिसका नाम है डॉटर्स डे . यह दिन अपनी बेटी की ख़ुशी मनाने का दिन आता है .  पुरे संसार में इसे अलग अलग दिनों पर मनाया जाता है पर बात करे भारत की तो यह हर साल सितम्बर माह में चौथे रविवार को मनाया जाता है . 

    माता पिता कैसे रखे अपनी बेटी का ध्यान ? 

    माता पिता को कुछ बाते जरुर जाननी चाहिए जिससे की वो अपनी बेटी में अच्छे संस्कार डाल सके .  

    आज के दौर में अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए भी उसमे ज्ञान की बाते डालनी चाहिए . उस समझाए कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोस्त जांच परख कर बनाये . साथ ही उसे आत्म बल के लिए आप जुडो कराटे सिखा सकते है . 

    उसके दोस्तों पर नजर रखे और उसकी सहेलियों से बात करके उसके बारे में जानते रहे . बचपन से ही उसे समाज में हो रहे गलत कामो के बारे में बताते रहे जिससे की वो हर समय सहज रहे . 

    उसे अनजान लोगो में कम बोलना सिखाये जिससे कि कोई उसकी गलत छवि अपने मन में ना बना सके . उसके कपड़ो में मॉडर्न पना नही होना चाहिए . उसके पहनावे से वो एक अच्छे घर की लड़की दिखनी चाहिए . 

    सारांश 

    तो दोस्तों आपने जाना कि बेटी क्यों अपने परिवार के लिए ख़ास होती है , साथ ही हमने बताया है की वो कौनसे खास गुण है जिसके कारण बेटी को ज्यादा प्यार और दुलार उसके माता पिता देते है .

    समाज में कुछ ऐसे नियम है जिसके कारण बेटियों को जीवन का कुछ प्रतिशत उस घर में ही बिताना पड़ता है जिसमे उसने जन्म लिया है और दूसरा उस घर में जहाँ वो वंश बढ़ाने के लिए अपने पति के साथ रहेगी . 


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